परिवार योजना निर्णयों पर सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

परिवार योजना निर्णयों पर सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

आज देश की बढ़ती जनसंख्या को देखकर, हम सभी लोग के लिए फैमिली प्लानिंग की ज़रूरत को समझना बेहद जरूरी हो गया है। एक तरफ परिवार योजनाएं समाज में परंपरागत सोच को बदलने का प्रयास करती हैं, तो सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देती है। अब यह फैमिली प्लानिंग हमारी किस तरह से मदद करती है? आइए समझते है।

सही परिवार योजनाएं शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देती हैं, जिससे सभी को अधिकारों और जिम्मेदारियों का सही ज्ञान होता है। हमारे देश भारत में पहले से ही अधिक जनसंख्या से लोग परेशान हैं। इसलिए सतर्क परिवार योजनाएं जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देती हैं, जिससे समाज में सुरक्षित भविष्य बनता है।

इन सब के अलावा फैमिली प्लानिंग या गर्भनिरोधक, असुरक्षित गर्भपात से जुड़े जोखिमों को भी कम करता है। क्योंकि फैमिली प्लानिंग की मदद से अवांछित गर्भावस्था से बचा जाता है, इसलिए बड़ी संख्या में माताओं और बच्चों की मृत्यु से बचा जा सकता है।

परिवार योजना निर्णयों पर सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

समाज और संस्कृति कैसे फैमिली प्लानिंग पर असर डालते हैं?

आज दुनिया भर में ऐसी कई महिलाएं है, जो अपने परिवार की योजना बनाना चाहती हैं या खुद को अनवांटेड प्रेगनेंसी से बचाना चाहती हैं, लेकिन उनके पास अभी भी बुनियादी परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर में कई महिलाओं और कपल्स के लिए, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड, परिवार नियोजन के इस्तेमाल को रोकते हैं।

हमारे समाज में पहले से ही कई मौजूद सामाजिक धारणाएं और मान्यताएं है, जो कि फैमिली प्लानिंग पर कहीं न कहीं गहरा प्रभाव डालती है। हमारे देश में मौजूद अलग-अलग समाज और समुदायों में जातिवाद, आर्थिक स्थिति, और शैक्षिक स्तर के आधार पर भी फैमिली प्लानिंग में बदलाव हो सकता है। क्योंकि कुछ समुदाय बच्चों की संख्या को बढ़ाने के लाभ की प्रेरणा देते हैं, जबकि दूसरे समुदाय नियंत्रित फैमिली प्लानिंग की ओर प्रेरित करते हैं।

इसके अलावा धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं भी परिवार योजना के मामले में, लोगों के निर्णयों पर असर डाल सकती हैं। जैसे कुछ समुदाय धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर ज्यादा बच्चे करने की प्रेरणा दे सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ दूसरे समुदाय विचारशील फैमिली प्लानिंग की बढ़ती आवश्यकता को समझते हैं।

इसी तरह शिक्षा और जागरूकता का स्तर भी इंसान के निर्णयों को प्रभावित कर सकता है। क्योंकि एक पढ़ा लिखा इंसान दूसरे लोगों के मुकाबले में ज्यादा जानकार होता है और सामाजिक परिवर्तनों को समझता है। इसलिए शिक्षा के माध्यम से लोग सुरक्षित परिवार योजना के लाभों को समझ सकते हैं और इसे अपना सकते हैं।

इन सब के अलावा कई जगहों पर भारत की संस्कृति, फैमिली प्लानिंग में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। खासकर जब जन्म नियंत्रण, गर्भपात, प्रजनन की उम्र की बात आती है। तब लोगों की जिंदगी में सामाजिक, आर्थिक और अन्य सामाजिक वजह भी लोगों द्वारा किए जाने वाले फैमिली प्लानिंग के निर्णयों को प्रभावित कर सकती है।

आमतौर पर कई पिछड़े इलाकों में लड़कियों की जल्दी ही शादी करा दी जाती है, और जब बच्चे पैदा करने की उम्र की बात आती है तो विभिन्न संस्कृतियों में लोगों के पैमाने और अपेक्षाएं बहुत अलग-अलग होती हैं। जैसे कि कुछ लोगों के लिए 19 साल माता या पिता बनने के लिए बहुत कम उम्र लगती है। वहीं दूसरी तरफ कई ऐसी संस्कृतियां भी हैं, जहां यह सामान्य बात होती है। इस तरह से कई पुराने सोच और विचार फैमिली प्लानिंग के लिए जाने वाले फैसलों पर असर डाल सकती है।

फैमिली प्लानिंग को लेकर कई गर्भनिरोधकों के बारे में मिथक और भ्रांतियां बहुत प्रचलित हैं। इसके अलावा गर्भनिरोधक तरीके कैसे काम करते हैं इसके बारे में जानकारी न होना, उसके उपयोग में प्रमुख बाधा है। ऐसे मजबूत सांस्कृतिक और समाज के मूल्यों का सामना करने के लिए मॉडर्न फैमिली प्लानिंग को समझना और जानना बहुत जरूरी हैं।

फैमिली प्लानिंग का मुख्य उद्देश्य क्या है?

फैमिली प्लानिंग का मुख्य उद्देश्य अवांछित गर्भधारण से बचना है। क्योंकि यह दुनिया भर में महिलाओं के साथ-साथ बच्चों की खराब स्वास्थ्य स्थिति का एक कारण है। अक्सर महिलाएं सोसाइटी या अपने घरवालों से मिल रहे दबाव के कारण से, फैमिली प्लानिंग पर ध्यान नहीं दे पाती।

देखा जाए तो आज भी, कहीं न कहीं हमारे देश में लड़के पैदा करने के लिए, महिलाओं पर जोर डाला जाता है। इसके अलावा कई पिछड़े इलाके में लोगों के बीच पुरानी सोच को बदलने के लिए ही फैमिली प्लानिंग का सहारा लिया जा रहा है। क्योंकि फैमिली प्लानिंग की मदद से एक बच्चे को पर्याप्त समय, डेवलप होने के लिए एक अच्छा माहौल और साथ ही फाइनेंशियल रिसोर्सेज को ठीक तरह से यूटीलाइज करता है, जो एक बच्चे की परवरिश के लिए जरूरी होती है।

फैमिली प्लानिंग करना सही है या नहीं?

सही मायने में कहा जाए तो फैमिली प्लानिंग करना बिलकुल सही है। क्योंकि इससे न केवल लोगों का खुद का फायदा होता है, बल्कि यह राष्ट्र की भलाई में भी योगदान देता है। फैमिली प्लानिंग ने गर्भावस्था से जुड़ी कई मुश्किलों और जोखिम को कम किया है, जिससे बच्चों के साथ-साथ मां की मृत्यु दर में भी कमी आई है। इसके अलावा रिसोर्सेज की मौजूदगी में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है, जो एक बच्चे को उनके शैक्षिक और सामाजिक विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।

फैमिली प्लानिंग के कई प्रकार हैं, जो जन्म नियंत्रण में मदद करते हैं। इसमें कई तरीकों में शामिल हैं। कुछ लंबे समय तक चलने वाले रिवर्सिबल कंट्रासेप्शन, हार्मोनल गर्भनिरोधक, बाधा बैरियर मेथड्स, आपातकालीन गर्भनिरोधक, प्रजनन जागरूकता और स्थायी गर्भनिरोधक जैसे, गर्भनिरोधक गोलियां, पुरुष नसबंदी शामिल होते है।